अब देश में ऑनलाइन सट्टेबाज़ी होगी दंडनीय अपराध – ऑनलाइन गेमिंग बिल राज्यसभा से भी पारित
भारत सरकार ने ऑनलाइन सट्टेबाज़ी पर कड़ा कदम उठाते हुए ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेग्युलेशन) बिल संसद के दोनों सदनों से पास करवा लिया है। लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी यह बिल पारित हो गया है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में सरकार उन ऐप्स और कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी जो ऑनलाइन सट्टेबाज़ी को बढ़ावा देती हैं या इसका विज्ञापन करती हैं।
1. बिल क्यों लाया गया?
डिजिटल टेक्नोलॉजी और इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के साथ भारत में ऑनलाइन गेमिंग का बाज़ार तेज़ी से बढ़ा है। वर्तमान में लगभग 22 करोड़ भारतीय यूज़र्स ऑनलाइन सट्टेबाज़ी एप्स से जुड़े हैं, जिनमें से 11 करोड़ लोग नियमित तौर पर इसका इस्तेमाल करते हैं।
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इन गेम्स के कारण लत (Addiction) की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
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कई परिवार आर्थिक संकट में आ गए हैं।
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धोखाधड़ी और ठगी के मामलों में वृद्धि हुई है।
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कई मामलों में आत्महत्या तक की घटनाएँ सामने आई हैं।
2. ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर के तीन हिस्से
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में बताया कि गेमिंग सेक्टर तीन मुख्य सेगमेंट में बंटा हुआ है:
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ई-स्पोर्ट्स (E-Sports):
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इसमें रणनीतिक सोच और टीमवर्क विकसित होता है।
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यह युवाओं के लिए खेल-कूद की तरह एक सकारात्मक विकल्प हो सकता है।
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ऑनलाइन सोशल गेम्स:
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जैसे शतरंज, सॉलिटेयर, सुडोकू आदि।
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ये शिक्षा और स्मृति बढ़ाने के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
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ऑनलाइन मनी गेम्स (सट्टेबाज़ी आधारित गेम्स):
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सबसे बड़ा खतरा यही सेगमेंट है।
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इसमें पैसों का दांव लगता है और एल्गोरिद्म अक्सर अपारदर्शी (Opaque) होते हैं।
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खिलाड़ी को समझ ही नहीं आता कि खेल निष्पक्ष है या नहीं।
3. ऑनलाइन सट्टेबाज़ी क्यों खतरनाक है?
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आर्थिक बर्बादी: जीवनभर की कमाई कुछ घंटों में बर्बाद हो सकती है।
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मानसिक स्वास्थ्य पर असर: तनाव, डिप्रेशन और आत्महत्या जैसे गंभीर मामले।
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सामाजिक नुकसान: परिवार और रिश्तों में दरारें।
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अपराध में वृद्धि: ठगी, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के मामले बढ़ते हैं।
4. सरकार की अगली कार्यवाही
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ऑनलाइन सट्टेबाज़ी को बढ़ावा देने वाली एप्स को बैन किया जाएगा।
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ऐसे एप्स का विज्ञापन करने वाली सेलिब्रिटीज़ और कंपनियों पर कार्रवाई होगी।
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रेग्युलेशन के तहत गेमिंग इंडस्ट्री को स्पष्ट कानूनी ढांचा दिया जाएगा।
जनता के लिए सावधानियाँ – ऑनलाइन सट्टेबाज़ी से कैसे बचें?
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सट्टेबाज़ी ऐप्स की पहचान करें
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जो ऐप पैसे लगाने के बदले जीत का लालच दे, वह सट्टेबाज़ी ऐप है।
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ऐसे ऐप्स अक्सर बोनस, रिवॉर्ड और "गैर-गैरंटीड" इनाम का प्रचार करते हैं।
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फ्री गेम और मनी गेम में फर्क समझें
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शतरंज, सुडोकू जैसे फ्री गेम्स मनोरंजन और सीखने के लिए होते हैं।
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वहीं, पैसे लगाने वाले गेम्स आपको वित्तीय नुकसान पहुँचा सकते हैं।
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सेलिब्रिटी विज्ञापनों से सावधान रहें
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कोई भी बड़ा चेहरा (Celebrity) विज्ञापन कर रहा हो तो यह ज़रूरी नहीं कि गेम सुरक्षित या लाभदायक है।
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वे केवल प्रचार के लिए भुगतान लेते हैं।
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आर्थिक लालच से बचें
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"तेजी से अमीर बनने" या "छोटे निवेश पर बड़ा मुनाफा" जैसे वादों से सावधान रहें।
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यह जाल (Trap) हो सकता है।
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परिवार और बच्चों को जागरूक करें
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बच्चों और युवाओं को इन खतरों के बारे में बताएँ।
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गेमिंग समय और इंटरनेट उपयोग पर निगरानी रखें।
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शिकायत दर्ज करें
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यदि आप ठगी का शिकार होते हैं तो तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) या 1930 हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज करें।
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ऑनलाइन गेमिंग बिल का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि तकनीक और गेमिंग समाज के लिए सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाए, न कि परिवारों को आर्थिक और मानसिक संकट में धकेले। सरकार का यह कदम युवाओं और आम नागरिकों को ऑनलाइन सट्टेबाज़ी जैसी बुरी लत से बचाने में मदद करेगा।