200 करोड़ की साइबर ठगी का पर्दाफाश: गुजरात की साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की बड़ी कार्रवाई, दुबई कनेक्शन का खुलासा
भारत में साइबर अपराधों का जाल लगातार फैलता जा रहा है। डिजिटल एरेस्ट, फाइनेंशियल फ्रॉड, इन्वेस्टमेंट स्कैम और पार्ट-टाइम जॉब के नाम पर करोड़ों रुपए ठगने वाली गैंग अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हो चुकी हैं। हाल ही में गुजरात राज्य की साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, गांधीनगर ने एक 200 करोड़ रुपए की विशाल साइबर ठगी का पर्दाफाश कर देशभर में चर्चा का विषय बना दिया है।
🔍 ठगी का पूरा नेटवर्क: बैंक से लेकर दुबई तक
आरोपियों ने भारत के विभिन्न राज्यों में “म्यूल बैंक अकाउंट” (Mule Accounts) खुलवाए थे। इन खातों में देशभर के नागरिकों से ठगे गए पैसे जमा करवाए जाते थे।
बाद में यह राशि —
- नकद निकासी,
- क्रिप्टो करेंसी ट्रांज़ैक्शन,
- और आंगडिया हवालिया चैनल
के माध्यम से दुबई स्थित साइबर क्राइम सिंडिकेट के पास पहुंचा दी जाती थी।
👉 इस नेटवर्क ने कुल 386 साइबर अपराधों को अंजाम दिया और करीब ₹200 करोड़ रुपए की ठगी की।
🕵️♂️ ठगी के तरीके (Modus Operandi)
इस गिरोह ने आम लोगों को फंसाने के लिए कई आधुनिक तरीके अपनाए:
- Digital Arrest Fraud – खुद को पुलिस, CBI, या RBI अधिकारी बताकर डराना और पैसे वसूलना।
- Investment Fraud – सोशल मीडिया पर “कम समय में ज्यादा मुनाफा” देने वाली फर्जी कंपनियां बनाकर निवेश करवाना।
- UPI और Online Payment Frauds – QR कोड स्कैन करवाकर या ऐप्स के ज़रिए धोखाधड़ी।
- Loan Fraud – आसान लोन का झांसा देकर अकाउंट डिटेल लेना।
- Part-Time Job Fraud – “घर बैठे काम” के नाम पर ठगी करना।
- Vishing Call Fraud – बैंक अधिकारी बनकर फोन पर OTP या अकाउंट जानकारी लेना।
- Task-Based Fraud – ऐप पर टास्क पूरे करवाकर पहले भुगतान दिखाना और बाद में ठगना।
👮♀️ गुजरात पुलिस की सघन कार्रवाई
सायबर अपराधों को रोकने के लिए महानिदेशक (CID Crime & Railways) डॉ. के. लक्ष्मी नारायण राव और
नायब पुलिस महानिरीक्षक (Crime-2) परिक्षिता राठौड़ ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए।
उनके मार्गदर्शन में एसपी डॉ. राजदीपसिंह झाला, एसपी संजय केशवाला, और एसपी विवेक भेड़ा के सुपरविजन में
पुलिस इंस्पेक्टर जी.बी. डोडिया, पी.डी. मकवाणा, और कुलदीप परमार ने एक विशेष टीम बनाकर जांच शुरू की।
🔹 तकनीकी विश्लेषण (Technical Analysis) और
🔹 ह्यूमन इंटेलिजेंस (Human Source)
की मदद से टीम ने मोरबी, सूरत और सावरकुंडला से 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया।
👤 गिरफ्तार आरोपी
- महेंद्र शामजीभाई सोलंकी – मोरबी
- रूपेन प्राणजीवनभाई भाटिया – मोरबी
- राकेशभाई कांतिभाई लाणिया – सुरेन्द्रनगर
- राकेशकुमार चमनभाई देकावाडिया – सुरेन्द्रनगर
- विजय नाथाभाई खांभल्या – सूरत
- पंकज बाबुभाई कथिरिया – सूरत (मूल अमरेली)
📱 जप्त किया गया सामान (मुद्देमाल)
- 12 मोबाइल फोन
- 2 सिम कार्ड
- 100 से अधिक बैंक खातों की जानकारी
- कई ऑनलाइन एप्स और वॉलेट से जुड़ा डेटा
🔎 जांच में सामने आया कि इन खातों के जरिए पूरे भारत में 386 साइबर अपराध किए गए हैं।
⚠️ आम जनता के लिए चेतावनी
सायबर पुलिस ने लोगों को आगाह किया है कि—
🚫 अपना बैंक खाता या सिम कार्ड किसी को भी किराए पर या किसी बहाने से न दें।
🚫 सोशल मीडिया पर मिलने वाले “High Return Investment” ऑफर पर भरोसा न करें।
🚫 “Digital Arrest” या “Online Inquiry” के नाम पर किसी भी कॉल या मैसेज पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
याद रखें:
सरकारी एजेंसियां जैसे CBI, ED, RBI, TRAI या Police कभी भी फोन पर पैसे मांगती नहीं हैं।
📞 फ्रॉड होने पर क्या करें
यदि आपके साथ किसी भी प्रकार का साइबर फ्रॉड होता है, तो तुरंत कार्रवाई करें:
📌 साइबर हेल्पलाइन नंबर: 1930
📌 साइबर क्राइम पोर्टल: www.cybercrime.gov.in
🕐 “गोल्डन ऑवर” यानी पहले एक घंटे के अंदर शिकायत करने पर आपके 50% तक पैसे वापस हो सकते हैं।
👏 टीम की सराहना
इस सफलता का श्रेय जाता है —
पोलिस इंस्पेक्टर जी.बी. डोडिया, पी.डी. मकवाणा, कुलदीप परमार, एच.जे. परमार,
हेड कॉन्स्टेबल दिनेश चौधरी, प्रफुल कटारा, शैलेश सोलंकी, कानजी रबारी, अजीत बगोदरीया,
अमित गढ़वी, सोहम रावल, मनहर खाणिया, विजय खाचर, मौलिक पटेल
और टेक्निकल एडवाइजर विशाल शाह को।
गुजरात पुलिस की इस कार्रवाई ने यह साबित कर दिया कि
देश में बढ़ते साइबर ठगों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को तोड़ना संभव है,
यदि जांच एजेंसियां तकनीकी और मानव खुफिया स्रोतों का सही इस्तेमाल करें।
जनजागृति, सावधानी और समय पर रिपोर्टिंग ही साइबर ठगी से बचने का सबसे सशक्त हथियार है।
