साइबर अपराध की कहानी : साइबर ठगों के जाल में फंसा खाता धारक जेल से मिली सीख
(सच्ची घटना से प्रेरित साइबर जागरूकता कहानी) किराये के खाते से हुई ठगी, जेल पहुंचा खाता धारक — सीख हर नागरिक के लिए
🎭 पात्र:
- संदीप कुमार :-बेरोज़गार युवक
- रवि (फ्रॉडस्टर) :-ऑनलाइन ठगी करने वाला अपराधी
- इंस्पेक्टर अर्चना सिंह:-साइबर क्राइम यूनिट अधिकारी
- शिवम आहलगामा:-साइबर जागरूकता अभियान स्वयंसेवक
🌐 कहानी शुरू होती है...
संदीप कुमार पिछले कई महीनों से बेरोज़गार था। एक दिन उसे फेसबुक पर एक विज्ञापन दिखा
“बस अपना बैंक खाता दो, हर महीने ₹10,000 किराया मिलेगा।
कोई रिस्क नहीं, सिर्फ़ ऑनलाइन बिज़नेस के लिए।”
संदीप ने सोचा
“बिना काम के हर महीने दस हज़ार? बढ़िया मौका है!”
उसने विज्ञापन में दिए नंबर पर कॉल किया। फोन उठाने वाला था रवि, जो असल में साइबर अपराधी था।
💳 “किराये” पर दिया खाता
रवि ने संदीप से कहा :-“तुम्हारे खाते में पैसे आएंगे, फिर मैं आगे भेज दूँगा।
बस तुम्हें हर महीने ₹10,000 किराया मिलेगा।”
लालच में आकर संदीप ने अपना बैंक खाता, ATM कार्ड और नेट बैंकिंग एक्सेस रवि को दे दिया।
कुछ दिनों में खाते में लाखों रुपये आने लगे — ₹25,000, ₹50,000, ₹1 लाख —और कुछ ही मिनटों में वो रकम किसी और खाते में ट्रांसफर हो जाती।
“आपका बैंक खाता साइबर ठगी में इस्तेमाल हुआ है।
कई पीड़ितों ने इसी खाते में पैसे भेजे हैं।”
संदीप के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वो बोला
“मैडम, मैंने तो बस खाता किराये पर दिया था... मैंने कोई ठगी नहीं की!"
संदीप को 2 साल की जेल और ₹50,000 जुर्माना हुआ। बैंक ने उसका खाता हमेशा के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया।
#StayCyberSafe #GuruCyberyodhakaGyan #DigitalIndia”
बस तुम्हें हर महीने ₹10,000 किराया मिलेगा।”
लालच में आकर संदीप ने अपना बैंक खाता, ATM कार्ड और नेट बैंकिंग एक्सेस रवि को दे दिया।
कुछ दिनों में खाते में लाखों रुपये आने लगे — ₹25,000, ₹50,000, ₹1 लाख —और कुछ ही मिनटों में वो रकम किसी और खाते में ट्रांसफर हो जाती।
संदीप को शक नहीं हुआ — क्योंकि हर महीने उसे “किराया” मिल रहा था।
🚨 लेकिन एक दिन...
एक सुबह साइबर क्राइम यूनिट की टीम उसके घर पहुँची। इंस्पेक्टर अर्चना सिंह ने कहा“आपका बैंक खाता साइबर ठगी में इस्तेमाल हुआ है।
कई पीड़ितों ने इसी खाते में पैसे भेजे हैं।”
संदीप के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। वो बोला
“मैडम, मैंने तो बस खाता किराये पर दिया था... मैंने कोई ठगी नहीं की!"
🔍 जांच में खुलासा
जांच में सामने आया कि रवि ने जॉब और इन्वेस्टमेंट स्कैम चलाया था। सैकड़ों लोगों से ठगी की गई रकम संदीप के खाते में जमा होती थी, जिससे रवि की असली पहचान छिपी रहती। बैंक रिकॉर्ड, IP एड्रेस और ATM फुटेज में सबूत साफ़ थे। कानून के अनुसार, खाता धारक वही जिम्मेदार होता है चाहे अपराध उसने किया हो या किसी और को करने दिया हो।⚖️ कानूनी परिणाम
संदीप पर निम्न धाराएँ लगीं —- BNS धारा 318(4)— धोखाधड़ी (Cheating)
- IT Act धारा 66D — ऑनलाइन धोखाधड़ी (Cheating by personation using computer)
- BNS धारा 61(B)— आपराधिक षड्यंत्र (Criminal Conspiracy)
- BNS धारा 316(2) — विश्वासघात (Criminal Breach of Trust)
“खाता किराये पर देना अपने आप में आपराधिक षड्यंत्र है,
क्योंकि यह अपराधियों को आर्थिक रास्ता देता है।”
क्योंकि यह अपराधियों को आर्थिक रास्ता देता है।”
संदीप को 2 साल की जेल और ₹50,000 जुर्माना हुआ। बैंक ने उसका खाता हमेशा के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया।
💡 सीख (Moral of the Story):
- ❌ अपना बैंक खाता, सिम कार्ड या ई-वॉलेट किसी को किराये पर न दें।
- ✅ हर ट्रांजेक्शन की जिम्मेदारी खाता धारक की होती है।
- ⚖️ “मासूमियत” कानून में अपराध से बचने का बहाना नहीं।
📢 साइबर जागरूकता संदेश — शिवम आहलगामा द्वारा
“साइबर अपराधी अक्सर मासूम लोगों को लालच देकर उनका खाता इस्तेमाल करते हैं। याद रखिए — जब तक हम जागरूक नहीं होंगे, अपराधी सफल होते रहेंगे।"#StayCyberSafe #GuruCyberyodhakaGyan #DigitalIndia”

