साइबर सेल इंदौर ने 1.39 करोड़ की ठगी का भंडाफोड़ – एलएलबी, साइबर लॉ और इंजीनियरिंग के छात्र भी शामिल
इंदौर ज़ोनल साइबर सेल पुलिस ने 27 सितंबर 2025 को एक बड़े साइबर फ्रॉड गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह ने शेयर और ट्रेडिंग के नाम पर एक रिटायर्ड जनरल मैनेजर को 1.39 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया। चौंकाने वाली बात यह है कि इस अपराध में कानून, साइबर लॉ, बीबीए, बीसीए और इंजीनियरिंग जैसे कोर्स कर रहे छात्र भी शामिल पाए गए।कैसे हुई ठगी?
- पीड़ित ने फेसबुक पर ट्रेडिंग का विज्ञापन देखा और एक व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ गए।
- ग्रुप में 490% तक मुनाफ़े का लालच दिया गया।
- ग्रुप पर संस्थागत ट्रेडिंग, ओटीसी ट्रेडिंग, आईपीओ ट्रेडिंग और लॉकेड ट्रेडिंग के नाम पर झांसा दिया गया।
- एक महीने में पीड़ित ने ₹1,39,60,451/- रुपये ट्रांसफर कर दिए।
- यह पैसा पुणे निवासी विजय शंकर वेद के बैंक खाते में डलवाया गया और बाद में एटीएम से निकासी कर कमीशन काटकर चाइनीज़ ग्रुप्स तक भेजा गया।
- इन पैसों को बाद में USDT (क्रिप्टो करेंसी) में कन्वर्ट करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भेजा जाता था।
गिरोह का खुलासा
- पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपीगण सीधे-साधे लोगों के बैंक खाते खुलवाकर, उनकी चेकबुक और एटीएम कार्ड लेकर उनका इस्तेमाल कर रहे थे।
- खाते से ठगी के पैसे ट्रांसफर कर अपना कमीशन रखने के बाद बाकी रकम चाइनीज़ गिरोहों तक पहुंचा दी जाती थी।
- इंदौर साइबर सेल की टीम ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ, रायबरेली, गोंडा और बस्ती जिलों से कुल 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार आरोपी और उनकी पृष्ठभूमि
दिवाकर वर्मा सिंह – बीसीए का छात्रविनोद कुमार – बीबीए का छात्र
कृष्ण शुक्ला – बीएससी के बाद एलएलबी कर रहा छात्र
मोहम्मद शाद – बीटेक (सिविल इंजीनियरिंग)
सुमित तिवारी – सीएस का छात्र
सय्यम तिवारी – साइबर लॉ में पीजी डिप्लोमा कर रहा छात्र
लईक अहमद – सिविल डिप्लोमा अधूरा, कंस्ट्रक्शन का कार्य करता था
मनीष जायसवाल – केवल 12वीं पास
विजय शंकर वेद – खाता धारक (मुख्य सहयोगी)
पुलिस की कार्रवाई
साइबर सेल इंदौर ने विशेष टीम बनाकर जांच की।
लखनऊ जेल में बंद कई आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट पर इंदौर लाकर पूछताछ की गई।
अब तक के साक्ष्यों से साबित हुआ कि यह गिरोह चाइनीज़ नेटवर्क से जुड़ा हुआ था।
महत्वपूर्ण सबक
सोशल मीडिया पर दिखने वाले ट्रेडिंग और हाई प्रॉफिट वाले विज्ञापन पर भरोसा न करें।किसी भी अनजान लिंक, ग्रुप या ऑफर से जुड़ने से पहले आधिकारिक वेबसाइट और SEBI जैसे रेगुलेटर से वेरिफिकेशन करें।
बैंक खाते और एटीएम कार्ड किसी को भी देने पर आप भी अपराध में फंस सकते हैं।
👉 साइबर सेल इंदौर की इस बड़ी कार्रवाई ने यह साबित किया है कि साइबर अपराध सिर्फ पेशेवर ठग ही नहीं, बल्कि पढ़े-लिखे छात्र भी कर रहे हैं। इसलिए जागरूकता और सतर्कता ही बचाव का सबसे बड़ा हथियार है।