9 साल से फरार 52 लाख रु. की ठगी करने वाला कॉल सेंटर गैंग का मास्टरमाइंड गिरफ्तार

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📢 9 साल से फरार 52 लाख रु. की ठगी करने वाला कॉल सेंटर गैंग का मास्टरमाइंड गिरफ्तार

राज्य साइबर पुलिस जोन ग्वालियर ने 52 लाख रु. की ठगी के मास्टरमाइंड को आखिरकार 9 साल बाद गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी कॉल सेंटर चला कर लोगों को इंश्योरेंस पॉलिसी और रिलायंस टावर लगाने के नाम पर धोखा देता था। आइए जानते हैं पूरी कहानी

🔎 मामला कैसे सामने आया?

  • फरियादी शशांक स्वामी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि रिलायंस कंपनी का टावर लगाने के नाम पर ₹52,24,723/- की ठगी हुई है।
  • शिकायत पर अपराध क्रमांक 144/16 दर्ज किया गया, जिसमें IPC की धारा 420, 467, 468, 471, 34, 120B, 204 व IT Act की धारा 66D शामिल की गई।
  • शुरुआती जांच में 05 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन मास्टरमाइंड पिंटू कुमार सिंह फरार हो गया था।

🕵️ आरोपी की पहचान और ठगी का तरीका

  • आरोपी का नाम – पिंटू कुमार सिंह (42 वर्ष), निवासी वैशाली, बिहार।
  • आरोपी पहले बैंक में काम कर चुका है और बैंकिंग सिस्टम के सभी लूपहोल्स जानता था।
  • आरोपी ने खुद को साधु बनाकर अखाड़े में शरण ली, ताकि पुलिस की नज़र से बचा रहे।
  • बिहार, उत्तराखंड और दिल्ली के फर्जी पहचान पत्र और दस्तावेज़ बनाकर पहचान छुपाई।
  • कॉल सेंटर में टीम बनाकर लोगों को ट्रेनिंग देता था कि कैसे उन्हें रिलायंस कंपनी अधिकारी या इंश्योरेंस कंपनी अधिकारी बनकर ठगना है।
  • ट्रू-कॉलर ऐप पर नंबर का नाम बदल देता था, ताकि लोगों को भरोसा हो।
  • दलालों का नेटवर्क बनाकर bulk में फर्जी सिम कार्ड मंगवाता था।
  • ठगी का पैसा अलग-अलग फर्जी खातों में जमा कराया जाता और बाद में कैश निकालकर टीम में बाँट दिया जाता था।

🚨 गिरफ्तारी कैसे हुई?

  • पुलिस की टीम लगातार तकनीकी साधनों से आरोपी की लोकेशन ट्रैक कर रही थी।
  • जानकारी मिली कि आरोपी दिल्ली से बिहार ट्रेन से जा रहा है।
  • इसके बाद टीम ने प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर RPF की मदद से आरोपी को गिरफ्तार कर ग्वालियर लाया।

👮 पुलिस अधिकारियों की भूमिका

इस सफलता में मुख्य भूमिका रही:-
  • निरीक्षक मुकेश कुमार नारोलिया
  • उप निरीक्षक हिमानी पाठक
  • उप निरीक्षक शैलेन्द्र राठौर
  • प्र.आर. पवन शर्मा, प्र.आर. विकास पांडे और आरक्षक पुष्पेन्द्र यादव
यह केस बताता है कि ठग कितने भी चालाक क्यों न हों, कानून के शिकंजे से बच नहीं सकते। 9 साल तक फरार रहने के बाद भी अंततः आरोपी को पकड़ लिया गया। साइबर पुलिस की यह कार्रवाई न केवल एक बड़ी उपलब्धि है बल्कि आम जनता को जागरूक करने का संदेश भी है कि ठगी से बचने के लिए हर कॉल या ऑफर को परखना जरूरी है।

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